मोदी सरकार का दसवां बजट

संपादकीय

अभिमन्यु कुमार

यह भारत के अमृत काल का पहला बजट है। यह गुलामी की मानसिकता से दूर सप्तऋषि मंडल पर आधारित बजट है। यह आत्मनिर्भर भारत और 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प को साकार करने की दिशा में आगे बढ़ाने वाला बजट है।यह सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास पर जोर देने वाला बजट है। यह देश के नागरिकों को कर्तव्य-पथ दिखाने वाला बजट है। 

बजटीय भाषा में कहें तो यह रेशनल, इन्क्लूसिव, प्रोग्रेसिव, रिवोल्यूशनरी, विजनरी, एस्पिरेशनल और इंस्पिरेशनल बजट है। यह चुनाव परिणाम की चिंता से दूर देशहित में समावेशी एवं कुशल अर्थनीति केंद्रित राजनीति का पोषण करने वाला बजट है। कोरोना महामारी तथा रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण अधोगति की ओर जाती वैश्विक अर्थव्यवस्था के बावजूद भारत की विकासोन्मुख अर्थव्यवस्था को मजबूती देने वाला बजट है। 

भारत के आर्थिक आकाश में चमकते सितारों के अनुसार यह भविष्य के भारत की आधारशिला रखने वाला बजट है। यह समृद्ध और गौरवशाली भारत का रास्ता बनाने वाला बजट है। यह वर्तमान से अधिक भविष्य पर फॉक्स करने वाला बजट है। यह कुशल राजकोषीय प्रबंधन के बल रेवड़ियां बाँटने से अलग पूंजीगत खर्च बढ़ाकर भारत की किश्ती तूफान से बाहर निकालने वाला बजट है। यह इंफ्रास्ट्रक्चर विकास, ग्रीन एनर्जी और किसान केंद्रित ग्रामीण अर्थव्यवस्था को ताकत देने वाला बजट है। 

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की छवि सदैव आउट ऑफ़ बॉक्स सोचने वाले नेता की रही है। यह बजट भी उस छवि की पुष्टि करने वाला है।यह बजट देश की साल भर की महज आय-व्यय का लेखा-जोखा देने वाला नहीं वरन देश के आर्थिक हालत की दिशा और दशा  दोनों को दर्शाने वाला है। मोदी जी ने बार-बार दोहराया है कि देश अपने नागरिकों के दम-खम पर चलता है। नागरिकों के बलबूते ही आगे बढ़ता है। क्योंकि सरकार के पास जो कुछ संसाधन हैं वे सब समाज के हैं। सरकार का काम संसाधनों के कुशल प्रबंधन का है जो इस बजट में स्पष्ट दिखाई देता है।       

(लेखक उत्तराखंड प्रदेश भाजपा में विभिन्न पदों पर आसीन रह चुके हैं। सम्प्रति, प्रदेश कार्य समिति के सदस्य हैं।)

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