रमेश वर्मा : “कुर्सी नहीं, भरोसे की राजनीति”, स्वयं नहीं लड़ा विधायक का चुनाव, मगर कई विधायकों के बने खेवनहार
✍️ डॉ. सत्यवान सौरभ गांव की राजनीति को अक्सर स्वार्थ, गुटबाज़ी और जातिगत समीकरणों के चश्मे से देखा जाता है। लेकिन कभी-कभी उसी मिट्टी से ऐसे लोग भी निकलते हैं, जो यह साबित कर देते हैं कि राजनीति केवल सत्ता पाने का माध्यम नहीं, बल्कि जनसेवा का सच्चा रास्ता भी हो सकती है। हरियाणा के […]
Continue Reading