बरेली (देशयोगी अंतरिक्ष)। रामायण भारतीय एवं सनातन धर्म का सर्वाधिक पूज्य ग्रंथ है। प्रभु श्री राम चरित गाथा की पावन गंगा युगो युगों से हिंदू समाज के मानस में कल कल प्रभावित होती आई है। बाल रामायण के रचयिता डॉ दीपंकर गुप्त ऐसे भगवान श्रीराम की गाथा का सहज सरल संपूर्ण काव्यात्मक रूप में बाल रामायण का धार्मिक स्थलों ,मंदिरों ,मंचों और विद्यालयों आदि में जाकर प्रचार प्रसार कर रहे हैं। विजयदशमी के पुनीत अवसर पर उन्होंने मठ गद्दी स्थल तुलसीदास जी महाराज के पावन प्रांगण में आयोजित धार्मिक, आध्यात्मिक एवं सनातन अस्त्र-शस्त्र पूजन कार्यक्रम में सहभागिता की।

मठ महंत पूज्य संत नीरज नयनदास जी महाराज के सानिध्य में डॉ दीपंकर गुप्त ने रामायण गीत पढ़ा। जिसकी कुछ पंक्तियां प्रस्तुत हैं: सत्य राम ने था अपनाया पापी रावण मार गिराया। जीत सत्य झूठ की हार यही रामलीला का सार।। इसके साथ ही,बाल रामायण की प्रतिया महाराजश्री के कर कमलों द्वारा उपस्थित बच्चों को भेंट की गई।
महाराज श्री ने अपने आशीर्वचन में डॉ दीपंकर गुप्त को बाल रामायण के सृजन, प्रकाशन और प्रचार प्रसार के लिए शुभ आशीष देते हुए कहा कि भारत की भावी पीढ़ी के लिए डॉ दीपंकर का प्रयास सराहनीय है तथा आने वाले समय में बाल रामायण निश्चित रूप से राष्ट्र धर्म हित में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी । कार्यक्रम के अंत में डॉ दीपंकर गुप्त ने श्री महाराज जी के प्रति हार्दिक कृतज्ञता प्रकट की।