प्रधानमंत्री मोदी ने शहीद भगत सिंह और स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर को याद किया

राष्ट्रीय

नयी दिल्ली (कविता पंत से)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’  में शहीद भगत सिंह और स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि दी।
मोदी ने कार्यक्रम के शुरू में कहा कि आज लता मंगेशकर की जयंती है। भारतीय संस्कृति और संगीत में रूचि रखने वाला कोई भी उनके गीतों को सुनकर अभिभूत हुए बिना नहीं रह सकता। उनके गीतों में वो सब कुछ है जो मानवीय संवदेनाओं को झकझोरता है। मराठी सुगम संगीत की महान हस्ती सुधीर फड़के जी ने सबसे पहले लता दीदी से मेरा परिचय कराया था। मैंने लता दीदी को कहा कि मुझे आपका गाया गाना ज्योति कलश छलके बहुत पसंद आया।
मोदी ने कहा, “भारत की संस्कृति से भी उनका गहरा जुड़ाव था। मैं लता दीदी के लिए ह्रदय से अपनी श्रद्धांजलि प्रकट करता हूं। लता दीदी जिन महा विभूतियों से प्रेरित थीं, उनमें वीर सावरकर भी एक थे, जिन्हें वह ‘तात्या’ कहती थी। उन्होंने वीर सावरकर के कई गीतों को भी अपने सुरों में पिरोया। लता दीदी से मेरा जो स्नेह का बंधन था, वो हमेशा कायम रहा। वो मुझे बिना भूले हर साल राखी भेजा करती थीं।
शहीद भगत सिंह को श्रद्धांजलि देते हुए मोदी ने कहा कि भगतसिंह हर भारतवासी, विशेषकर देश के युवाओं के लिए एक प्रेरणापुंज है। निर्भीकता उनके स्वभाव में कूट-कूट कर भरी हुई थी। देश के लिए फांसी के फंदे पर झूलने से पहले भगत सिंह जी ने अंग्रेजों को एक पत्र भी लिखा था। उन्होंने कहा था कि मैं चाहता हूं कि आप मुझे और मेरे साथियों से युद्धबंदी जैसा व्यवहार करें। इसलिए हमारी जान फांसी से नहीं, सीधा गोली मार कर ली जाए। यह उनके अदम्य साहस का प्रमाण है।
दुर्गा पूजा के महत्व को रेखांकित करते हुए मोदी ने कहा, “कुछ समय पहले, भारत सरकार के ऐसे ही प्रयासों के कारण, कोलकाता की दुर्गा पूजा भी यूनेस्को की इस सूची का हिस्सा बनी। अगर हम अपने सांस्कृतिक आयोजनों को ऐसी वैश्विक मान्यता देंगे, तो दुनिया भी इनके बारे में जानेगी, इन्हें समझेगी और इनमें भाग लेने के लिए आगे आएगी।”
छठ पर्व का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे पर्व, त्योहार भारत की संस्कृति को जीवंत बनाए रखते हैं। छठ पूजा ऐसा एक पावन पर्व है जो दीवाली के बाद आता है। सूर्य देव को समर्पित यह महापर्व बहुत ही विशेष है। इसमें हम डूबते सूर्य को भी अर्घ्य देते हैं, उनकी आराधना करते हैं। छठ ना सिर्फ देश के अलग -अलग हिस्सों में मनाई जाती है, बल्कि दुनिया भर में इसकी छटा देखने को मिलती है। आज ये एक ग्लोबल फेस्टिवल बन रहा है। मुझे आपको ये बताते हुए बहुत खुशी है कि भारत सरकार भी छठ पूजा को लेकर एक बड़े प्रयास में जुटी है।
इस कार्यक्रम में मोदी ने कहा, “बिहार के मधुबनी ज़िले की स्वीटी कुमारी ने भी संकल्प क्रिएशन्स की शुरुआत की है। उन्होंने मिथिला पेंटिंग को महिलाओं की आजीविका का साधन बना दिया है। आज 500 से ज़्यादा ग्रामीण महिलाएं उनके साथ जुड़ी हैं और आत्मनिर्भरता की राह पर हैं। ये सभी सफलता की कहानियाँ हमें सिखाती हैं कि हमारी परंपराओं में आय के अनगिनत स्रोत छिपे हैं।
मोदी ने कहा, “खादी की तरह, हमारे हथकरघा और हस्तशिल्प क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण बदलाव आ रहे हैं। आज, हमारे देश में ऐसे कई उदाहरण सामने आ रहे हैं जो दर्शाते हैं कि कैसे परंपरा और नवाचार का मेल असाधारण परिणाम दे सकता है। इसका एक उदाहरण तमिलनाडु में याज़ नेचुरल्स है। यहां, अशोक जगदीशन और प्रेम सेल्वराज ने एक नई पहल करने के लिए अपनी कॉर्पोरेट नौकरियां छोड़ दीं। उन्होंने घास और केले के रेशे से योगा मैट बनाए, हर्बल रंगों से कपड़े रंगे और 200 परिवारों को प्रशिक्षण देकर उन्हें रोज़गार प्रदान किया। झारखंड के आशीष सत्यव्रत साहू ने जोहरग्राम ब्रांड के माध्यम से आदिवासी बुनाई और परिधानों को वैश्विक मंच पर पहुंचाया है. उनके प्रयासों की बदौलत, अब दूसरे देशों के लोग भी झारखंड की सांस्कृतिक विरासत को पहचान रहे हैं।

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