सीबीआई ने चिट फण्ड मामलें में निजी कम्पनियों एवं निदेशकों सहित आठ के विरुद्ध पूरक आरोप पत्र दायर किया 

अपराध

नई दिल्ली (देशयोगी सन्दीप गोस्वामी)।

सीबीआई ने चिट फण्ड मामलें में निजी कम्पनियों एवं इसके निदेशकों सहित 08 आरोपियों के विरुद्ध विशेष न्यायाधीश की अदालत, कैलाशहर, जिला उनाकोटी (त्रिपुरा) में एक पूरक आरोप पत्र दायर किया है। 
सीबीआई ने वर्ष 2014 की समादेश याचिका (सी) संख्या-3 में माननीय त्रिपुरा उच्च न्यायालय के आदेश, दिनॉक 05.09.2019 के आदेश के अनुपालन में दिनॉक 18.10.2019 को वर्तमान मामला दर्ज किया है एवं एक निजी कम्पनी, जिसकी कुमारघाट एवं अगरतला में  शाखाए हैं, और अन्य के विरुद्ध पूर्व में कुमारघाट पुलिस स्टेशन, जिला उनाकोटी में दर्ज मामला संख्या-57/2015, दिनॉक 22.10.2015 की जॉच को अपने हाथों में लिया। यह आरोप है कि वर्ष 2007 एवं 2009 की अवधि के दौरान शिकायतकर्ता ने उक्त निजी कम्पनी की कुमारघाट शाखा में कुल 9,26,000/- रु. की धनराशि एवं अगरतला में स्थित इसकी अन्य शाखा में 75,000/- रु. जमा किया। हालॉकि, परिपक्वता तिथि के पश्चात, आरोपियों ने शिकायतकर्ता को धनराशि वापस नही की। राज्य पुलिस ने कम्पनी के निदेशक मण्डल एवं अन्यों के विरुद्ध दिनॉक 28.01.2018 को आरोप पत्र दायर किया। 
सीबीआई के द्वारा की गई आगे की जॉच के दौरान, यह पाया गया कि आरोपियों ने आपस में षड़यंत्र कर धनराशि जुटाने वाली अपनी कम्पनियों में निदेशक एवं अंशधारक बन गए। आगे यह आरोप है कि उक्त निदेशकों ने सेबी (SEBI) एवं आर बी आई (RBI) के मानदण्डों के उल्लंघन में जमीन जायदाद के कारोबार, भारी संख्या में निवेशकों से होटलों में कमरों की बुकिंग, उद्योग एवं भूमि के विकास के नाम पर प्रमाण पत्र जारी कर जमाओं के रुप में जनमानस से भारी धनराशि एकत्र की।

यह भी आरोप है कि आरोपियों ने कम्पनी समूह के तहत कई अन्य कम्पनियॉ बनाई और इनमें निदेशक बन गए तथा जानबूझकर अन्य कम्पनी समूह में धनराशि पथान्तरित (Diverted) की, यह जानते हुए कि ये कम्पनियाँ घाटे में चल रही थी और इन कम्पनियों के नाम पर कई बैंक खाते खोले गए एवं इन खातों से धनराशि पथान्तरित करने के लिए इन बैंक खातों के हस्ताक्षरी बन गए। आरोपियों ने कथित रुप से एक के ऊपर एक भारी संख्या में एजेन्टों की नियुक्ति की और उच्च कमीशन एवं प्रोत्साहन का लालच देकर धनराशि एकत्र करने का उन्हे प्रलोभन दिया। उन्होने, कम्पनी अधिनियम, 1975 (जमाओं की स्वीकार्यता) के उल्लंघन में उच्च मुनाफे की वापसी का प्रस्ताव देकर उक्त निजी कम्पनियों में धन निवेश करने के लिए निवेशकों को कथित रुप से प्रेरित किया। उक्त कम्पनियों में  निदेशक निर्णय लेने वाले प्रमुख व्यक्ति थे एवं निवेशकों के द्वारा निवेशित धनराशि को उक्त समूह की घाटे में चल रही सहयोगी कम्पनियों में कथित रुप से पथान्तरित की, इससे धनराशि का गबन हुआ। 
191,18,90,089/- रु. (लगभग) की धनराशि का कथित गबन हुआ। 
जॉच के पश्चात, सीबीआ ने पूरक आरोप पत्र दायर किया।

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