हाईकोर्ट की उत्तराखण्ड सरकार पर सख्त टिप्पणी, एसपी, उधमसिंह नगर भी तलब

अपराध

नैनीताल (देशयोगी अनुज)।


उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने वादों के निस्तारण में सरकार के ढीलेढाले रवैये पर मंगलवार को तल्ख टिप्पणी करते हुए प्रदेश के विधि सचिव से जवाबतलब किया है। साथ ही उधमसिंह नगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) टीसी मंजूनाथ को भी अदालत में तलब किया है।

 मामला उधमसिंह नगर जनपद के रूद्रपुर कोतवाली में छेड़छाड़ के झूठे प्रकरण से जुड़ा है। घटना सन् 2019 की है। आरोप है कि रूद्रपुर के पहाड़गंज निवासी महबूब अली ने एक महिला के साथ मिलकर एक 65 साल के बुजुर्ग धर्मपाल को छेड़छाड़ के आरोप में फंसाने की साजिश रची और बुजुर्ग से इसके बदले में तीन लाख रूपये की रकम हड़प ली।  

पीड़ित की ओर से इस मामले की शिकायत रूद्रपुर कोतवाली पुलिस को सौंपी गयी। पुलिस ने आरोपी महबूब अली के खिलाफ भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 384, 504, 506 व 34 के तहत अभियोग पंजीकृत कर जेल भेज दिया और इस प्रकरण की जांच उप निरीक्षक मुकेश मिश्रा को सौंप दी। पीड़ित की ओर से जांच अधिकारी को साक्ष्य के तौर पर इस प्रकरण से जुड़ी एक पेन ड्राइव भी सौंपी गयी। इस दौरान आरोपी की ओर से सन् 2021 में उच्च न्यायालय में जमानत याचिका दायर की गयी।

आज इस प्रकरण की सुनवाई न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैठाणी की अदालत में हुई। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि जांच अधिकारी की ओर से 19 पेज का जो जवाबी हलफनामा दायर किया गया है उसमें आरोपियों की पेन ड्राइव से जुड़े ऑडियो रिकार्डिंग के बारे में कोई उल्लेख नहीं है। अदालत ने इस पर सवाल उठाये और कहा कि पेन ड्राइव को साक्ष्य के तौर पर क्यों नहीं पेश किया गया और क्यों नहीं इसे विधि विशेषज्ञ प्रयोगशाला जांच के लिये भेजा गया है? 

सुनवाई के दौरान अदालत के संग्यान में आया कि आरोपी कोरोना महामारी के चलते पेरोल पर बाहर है और अभी भी पेरोल पर ही है। इसके बाद अदालत ने सरकार से इस मामले में रिपोर्ट पेश करने को कहा। अदालत ने पूछा कि क्या पेरोल पर छोड़ने के लिये कोई आदेश है? लेकिन सरकार की ओर से इस मामले में भी  जवाबी हलफनामा पेश नहीं किया गया।

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि इसी साल 30 जून 2022, 14 जुलाई, 15 जुलाई व 01 सितम्बर को अदालत के आदेश के बावजूद सरकार की ओर से इस मामले में संक्षिप्त जवाब पेश नहीं किया गया। जो कि गंभीर लापरवाही है। इस पर अदालत ने सरकार के कामकाज पर सख्त रूख अख्तियार किया और कहा कि सरकार वादों के निस्तारण में अदालत का सहयोग नहीं कर रही है। 

अदालत ने गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार के अधिवक्ता ‘सब चलता है’ के रवैये पर काम कर रहे हैं। जो कि ‘कानून के राज में एक खतरनाक’ संकेत है। अदालत ने यह भी कहा कि जमानत संबंधी मामलों के जल्द निपटारे के लिये उच्चतम न्यायालय की ओर से भी कई बार स्पष्ट निर्देश गये हैं लेकिन सरकार का ढीलाढाला रवैया इस मामले में सबसे बड़ी बाधा है। अदालत ने कहा कि सरकार को भी इन मामलों के निपटारे के लिये आगे आना होगा और अदालत को सहयोग करना होगा।

अदालत के समक्ष दस्तावेज व आवश्यक सामग्री प्रस्तुत करनी होगी। अदालत ने इस पर भी अफसोस जताया कि सरकार की ओर से इस प्रकार के रवैये की निगरानी करने वाला भी कोई नहीं है? अंत में अदालत ने उधमसिंह नगर के एसएसपी को निर्देश दिये कि वह इस प्रकरण में उठाये गये बिन्दुओं पर विस्तृत जवाब पेश करे। अदालत ने एसएसपी को अगली तिथि 27 सितम्बर को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के निर्देश दिये हैं।

अदालत ने विधि सचिव को भी निर्देश दिये हैं कि वह इस मामले में तय करे कि दोषियों के खिलाफ क्या कार्यवाही की गयी है और संक्षिप्त जवाबी हलफनामा दाखिल करने में सरकार क्यों विफल रही है? अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि इस मामले में महज औपचारिता नहीं होनी चाहिए और यदि कोई दोषी है तो उसके खिलाफ कार्यवाही की जानी चाहिए। इस मामले में अगली सुनवाई 27 सितम्बर को होगी। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *