हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट

संपादकीय

देशयोगी अभिमन्यु कुमार

केंद्र सरकार के बजट से एक सप्ताह पूर्व 24 जनवरी को हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट अचानक मीडिया की सुर्खी बनती है और दुनिया की अमीरों की सूची में पहली बार दूसरे पायदान पर पहुंचे भारत के गौतम अडानी की बादशाहत लड़खड़ाने लगती है। कौन है ये हिंडनबर्ग रिसर्च? यह एक अमेरिकन कम्पनी है जो शोर्ट सेलर यानि सट्टेबाजी का व्यापार करती है। अमेरिका में इस कम्पनी पर नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में मुकदमा चल रहा है। मतलब जिस देश की कम्पनी है उस देश में ही कम्पनी की विश्वसनीयता सवालों के घेरे में हैं। 

लेकिन हमारे देश में विपक्ष उसे हाथों-हाथ लेता है और उसके जरिये दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता के रूप में प्रसिद्धि पाने वाले भारत के एकमात्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमलावर हो जाता है। जरूरी जाँच-पड़ताल किये बिना मीडिया में भी उस पर चर्चा शुरू हो जाती है। राहुल गाँधी के साथ मिलकर विपक्ष आरोप लगाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की गरीब जनता की गाढ़ी कमाई डुबो दी जो जनता ने एसबीआई और एलआईसी के माध्यम से अडानी की कंपनियों में निवेश की थी। संसद ठप्प कर दी जाती है। इरादा था वैश्विक मंदी के दौर में छलांग लगाती भारत की अर्थव्यवस्था की गति रोक दी जाये। 

मगर जैसाकि कहावत है “कौवों के काँव-काँव करने से गाय नहीं मरती” एसबीआई और एलआईसी के उच्च अधिकारी सामने आये और बताया कि उन्होंने अपने कुल निवेश का 1% से भी कम अडानी ग्रुप में निवेश किया है। जो किसी कम्पनी में देश के नियमानुसार किये जा सकने वाली निवेश राशि का आधा है। तथा अडानी ग्रुप के शेयर्स में आई गिरावट के बावजूद दोनों कम्पनी आज भी लाभ में हैं। लेकिन राहुल गाँधी और विपक्ष को तथ्यों से क्या लेना-देना? उनका तो एकमात्र मिशन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लांछित करना है भले ही इस प्रयास में भारत की साख पर ही दाग क्यों न लग जाये।जबकि भारत की वित्त मंत्री स्पष्ट कर चुकी हैं क़ि भारत सरकार की ततसंबंधी नियामक एजेंसी लगातार सतर्कता बरतती रहीं हैं और आवश्यक निगरानी भी कर रही हैं। खबर है कि अडानी ग्रुप का एफपीओ रद्द करने, एफपीओ का पैसा लौटाने के फैसले के बाद अडानी ग्रुप ने शेयर्स को गिरवी रखकर 9185 करोड़ का lलिया गया ऋण परिपक्वता अवधि(Marurity Period) से पूर्व ही चुकाने का फैसला लिया है। परिणामस्वरूप अडानी ग्रुप के शेयर्स ने तेजी का रुख अख्तियार कर लिया है।

लेखक स्वतंत्र विचारक और लेखक हैं।        

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