उत्तरी और मध्य हिमालय पर्वतों पर चल रहे प्रोजेक्ट रोकने की मांग

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देहरादून (देशयोगी राजकुमार ग्रोवर)। विश्व पहाड़ दिवस पर हिमालय के उत्तरी और मध्य पर्वत श्रृंखलाओं पर विकास के नाम पर चल रहे विविध प्रोजेक्ट को विनाशकारी बताते हुए इसके विरोध में डीएवी के पूर्व छात्र संघ महासचिव सचिन थपलियाल ने धरना दिया। उनके समर्थन में कई संगठनों ने भी हिस्सा लिया।

वक्ताओं ने ग्रेटर हिमालय, मध्य हिमालय व शिवालिक श्रेणी के पहाड़ो को धन्यवाद किया कि उन्होंने सम्पूर्ण भारत को वेद, पुराण के साथ, सुंदर जलवायु व स्वच्छ हवा दी। सभी ने एकजुटता के साथ, हिमालय के उत्तरी व मध्य भाग में बन रही टनलों और चारो धामों में चल रहे विनाशकारी प्रोजेक्टों को शीघ्र ही बंद करने की माँग की। छात्र नेता सचिन थपलियाल ने कहा कि शिवालिक हिमालय का दक्षिणी तथा भौगोलिक रूप से युवा भाग है, जो पश्चिम से पूरब तक फैला हुआ है। देहरादून शिवालिक श्रेणी में बसा  शहर है जिसका दोहन सरकार कर रही है। उन्होंने कहा कि भूगर्भ शास्त्रीय दृष्टि से यह बायो रिज़र्व जोन का हिस्सा है। यहां किसी भी तरीके के कार्बन उत्सर्जन व ग्रीनहाउस गैस वाले सभी कार्य बंद किए जाने चाहिए ताकि, देहरादून की पुरानी गरिमा को वापस लौटे।

इस दौरान, मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री से उत्तराखंड के लिए कई मांगे रखी गयी। जिसमें उत्तराखंड को संरक्षित राज्य घोषित करने, “एक तीर एक कमान सारा पहाड़ एक समान” के नारों की गूंज से समस्त पहाड़ी भाषी आबादी के लिए सामाजिक व आर्थिक रूप से आरक्षण घोषित करे।

श्री थपलियाल ने कहा कि पहाड़ वाइब्रेटिंग मोड पर है, नेता फ्लाइट मोड पर है औऱ जनता साइलेंट मोड पर है क्योंकि लैंडस्लाइड में पिछले 5 साल में 3000% वृद्धि हुई है। जिसका कारण है Denuded नीति। मतलब पेड़ो को काट काट के पहाड़ो को नंगा कर देना। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में पिछले 5 साल में 37 ताल गिर चुके हैं, 27 पुल गिरने को तैयार खड़े हैं। 20 सालो में चंडीगढ़ क्षेत्र से 5 गुना ज्यादा वन क्षेत्र हमने उत्तराखंड में खो दिए हैं। उन्होंने बताया कि आपदा प्रबंधन विभाग ने 2018 में एक रिपोर्ट तैयार की थी जिसके मुख्य बिंदु थे कि उत्तराखंड में 50% हिस्से बेहद संवेदनशील हैं। अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि अब तक 6536 लैंड स्लाइड जोन चिह्नित किये जा चुके है औऱ 1093 गांव हॉट स्पॉट की जद में है जहाँ पर क्लाउड ब्लस्ट, भु धसाव की ज्यादा संभावना है। वर्ल्ड बैंक की मदद से यह सर्वे हुआ था।

इस दौरान, नागरिक मंच के यश आर्य ने कहा कि पहाड़ो में एक नारा है कि “जो जमीन सरकारी है वो जमीन हमारी हैं”। राज्य में जमीनों की खुली छूट के चलते भू माफ़िया आज प्रदेश में हावी है। उन्होंने उत्तराखंड को सख्त भू कानून के साथ साथ, अनुच्छेद 371 की मांग करी। उन्होंने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार के नीतियों द्वारा उल्टी गंगा बहाई जा रही है क्योंकि हमने मांग “भू कानून” की करी, थोपा “समान नागरिक संहिता।” हमने मांगा “मूल निवास 1950”, दिया 2000 स्थायी निवास। बेरोजगार संघ ने मांगी थी सीबीआई जांच मिला “नकल विरोधी कानून” और मांगी थी पहाड़ में अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं मिला ऋषिकेश एम्स। हमने मांगे पहाड़ी सड़कों में यातायात के ज्यादा वाहन, मिला चार धाम सड़क। 

बेरोजगार संघ के बॉबी पंवार ने कहा कि जितने भी सनातन संस्कार है वह गंगा जी की अविरल बहती धारा में ही किये जायें। शास्त्रों में भी लिखा हुआ है कि जब गंगा निर्मल बहती हैं तभी उसमें किये गए कार्य सिद्धि माने जाते हैं कोई भी ऐसी धारा जो बंधी हुई हो उसमें हमारे धार्मिक संस्कार नही किये जाते। इसलिय अंग्रेजों के समय में भी तीर्थ पुरोहितो ने गंगा तटो पर बांधो का विरोध किया। उन्होंने कहा कि सदियों से पहाड़ो में रहने वाले लोग बहुत भयंकर डर में है, क्योंकि सरकारी आपदाओं के कारण मानवों के अस्थि पंजर नदी में बह रहे है।

धरने में विशाल चौहान, दीपेंद्र लाल, नवीन चौहान, संतोष राणा,  सुनील रावत, अभिषेक, राजेन्द्र, अंकित खैरवाल, सुनील चौहान, अरविंद नेगी , ऋषभ रावत, आदि उपस्थित रहे।

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