चमोली (देशयोगी क्रांति भट्ट)। गैरसैंण विकासखंड के आदि बदरी, खेती और थापली गांवों को मशरूम उत्पादन के मॉडल के रूप में विकसित करने की कवायद शुरु हो गई है। यहां कृषि और उद्यान विभाग की ओर से गांवों में मशरूम शेड का निर्माण शुरु कर दिया गया है। साथ ही, कम्पोस्ट वितरण के साथ ही क्षेत्र के 10 काश्तकारों को प्रशिक्षण के लिए हरिद्वार भेजा गया है। योजना का उद्देश्य जनपद में मशरूम उत्पादन बढाना और प्रशिक्षण के लिये बाहरी क्षेत्रों पर निर्भरता कम करना है।
मुख्य कृषि अधिकारी जय प्रकाश तिवाड़ी ने गुरुवार को बताया कि जिलाधिकारी संदीप तिवारी की पहल पर, कृषि व उद्यान विभाग की ओर से इन तीनों गांवों को मशरुम उत्पादन के मॉडल विलेज बनाने की योजना बनाई गई है। जिसके अन्तर्गत, जिला योजना और मनरेगा के सहयोग से गांवों में एक स्वयं सहायता समूह और 28 काश्तकारों के साथ योजना का क्रियान्वयन शुरु किया गया है। जिसके पहले चरण में मशरुम उत्पादन के लिए शेड का निर्माण कार्य शुरु कर दिया गया है। साथ ही क्षेत्र के काश्तकारों को मशरुम उत्पादन के प्रशिक्षण के लिए हरिद्वार के बुग्गावाला भेजा गया है। काश्तकारों को कम्पोस्ट वितरण की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।
श्री तिवाड़ी ने बताया कि बीते वर्ष जनपद में एक महिला स्वयं सहायता समूह और 20 काश्तकारों के साथ संचालित योजना से जिले में 30 कुंतल मशरूम का उत्पादन किया गया था। ऐसे में गैरसैंण क्षेत्र में शुरु की गई योजना के बाद जनपद में मशरूम का उत्पादन बढ़कर 45 से पचास कुंतल हो जाएगा। उन्होंने कहा कि स्थानीय बाजार में काश्तकार 250 रुपए प्रति किलो के हिसाब से मशरूम का विपणन कर बेहतर आय अर्जित कर सकेंगे।