एकनाथ शिंदे को बीजेपी का ऑफर, डिप्टी सीएम सहित प्रमुख कैबिनेट मंत्री

राष्ट्रीय

सुत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बीजेपी ने एकनाथ शिंदे को ऑफर दिया है की अगर वह बागी विधायको के साथ बीजेपी की सरकार बनाते है तो उन्हे डिप्टी सीएम का पद दिया जाएगा

मुख्यमंत्री पद छोड़ने की पेशकश करने के कुछ ही घंटों बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बुधवार रात दक्षिण मुंबई स्थित अपना आधिकारिक आवास खाली कर दिया और बांद्रा स्थित अपने निजी आवास चले गए। ठाकरे मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास ‘वर्षा’ को खाली करके ठाकरे परिवार के निजी आवास ‘मातोश्री’ चले गए। उद्धव के इस कदम को इमोशनल कार्ड के रूप में देखा जा रहा है। गौरतलब है कि शिंदे द्वारा दो दिन पहले बगावत किए जाने और बागी विधायकों के तेवर में कोई नरमी नहीं आने के बीच ठाकरे ने यह कदम उठाया है।

तीन दशक पहले शिवसेना में उठे थे बगावती सुर

लगभग दो दशक पहले, जुलाई 1992 में, शिवसेना के भीतर उसकी कार्यशैली को लेकर इसी तरह की बगावत देखने को मिली थी। तब शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे ने सार्वजनिक रूप से पार्टी से इस्तीफा देने और पार्टी से संबंध तोड़ने की पेशकश करके कई लोगों को चौंका दिया था। बाल ठाकरे ने पार्टी के मुखपत्र सामना में लिखा था, “अगर एक भी शिवसैनिक मेरे और मेरे परिवार के खिलाफ खड़ा होकर कहता है कि मैंने आपकी वजह से शिवसेना छोड़ी या आपने हमें चोट पहुंचाई, तो मैं एक पल के लिए भी शिवसेना प्रमुख के रूप में बने रहने के लिए तैयार नहीं हूं।” 

उनके इस लेख ने महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा असर दिखाया था। लाखों की संख्या में शिवसैनिक बाल ठाकरे के समर्थन में रैलियां निकालने लगे थे। यही नहीं, बाल ठाकरे के उस कदम ने सुनिश्चित किया कि 20 साल बाद उनकी मृत्यु तक उन्हें इस तरह के विद्रोह का सामना नहीं करना पड़ा। अब, उस भाषण के तीन दशक बाद, जूनियर ठाकरे भी उसी मौड़ पर वापस आते दिख रहे हैं। उद्धव ने बुधवार को कहा कि उन्होंने कभी कुर्सी या पद या सत्ता की लालस नहीं रखी और अगर किसी शिवसैनिक ने उनके पद छोड़ने को कहा तो इसे छोड़ने को तैयार हैं।

उद्धव बोले- बागी आकर खुद ले जाएं मेरा इस्तीफा

उन्होंने राज्य के लोगों तक पहुंचने के लिए बुधवार को फेसबुक का इस्तेमाल किया और लाइव संबोधन के जरिए अपनी बात रखी। जब अटकलें लगाई जा रही थीं कि वह मुख्यमंत्री के रूप में वे अपने इस्तीफे की घोषणा करेंगे, तब उद्धव ने शिवसेना के बागी विधायकों को चुनौती देते हुए कहा कि वे खुद आएं और उनका इस्तीफा लेकर राजभवन जाएं। उन्होंने बागियों से वफादारी का आह्वान करते हुए कहा कि अगर वे उन्हें आमने-सामने आकर पद छोड़ने के लिए कहते हैं तो वे छोड़ देंगे। 

मैं सीएम पद का लालची नहीं- ठाकरे

उद्धव ठाकरे ने इस बात का भी जिक्र किया कि उनकी पार्टी के विधायकों शिकायत है कि सरकार और पार्टी दोनों पर ठाकरे परिवार का कुल नियंत्रण है। इस पर उद्धव ने खुद को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में पेश किया जो कभी सीएम पद का इच्छुक नहीं था। ठाकरे ने नवंबर 2019 की घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष शरद पवार के सुझाव पर अपनी अनुभवहीनता के बावजूद मुख्यमंत्री का पद संभाला। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और राकांपा के कई दशकों तक शिवसेना के राजनीतिक विरोधी होने के बावजूद महा गठबंधन अस्तित्व में आया। बाल ठाकरे के समय में महाराष्ट्र की सत्ता की चाभी मातोश्री में रहती थी। उद्धव से पहले कोई भी ठाकरे परिवार का व्यक्ति राजनीतिक पदों पर असीन नहीं रहा था। लेकिन उन्होंने अपने पिता के विपरीत आधिकारिक तौर पर सार्वजनिक पद संभाला। 

अब जब उद्धव ठाकरे ने अपना सरकारी आवास खाली कर दिया है तो ऐसे में कई कयासों की दौर भी शुरू हो चुका है। अपने इस कदम से उद्धव ठाकरे समर्थकों और विधायकों को सांकेतिक इशारा दे रहे हैं कि उन्हें मुख्यमंत्री पद की लालसा नहीं है। फेसबुक लाइव में महाराष्ट्र की जनता के नाम संदेश जारी कर उद्धव ने यह भी कहा था कि वह सीएम आवास तक छोड़ने को तैयार हैं और उन्हें किसी पद की लालसा नहीं है। 

अब शिवसेना प्रमुख उम्मीद कर रहे होंगे कि यह भावनात्मक संबोधन उन सैनिकों के साथ तालमेल बिठाएगा जो पार्टी की तरह ठाकरे परिवार की शपथ लेते हैं। शिवसेना नेता पिछले दो दिनों से दोहरा रहे हैं कि अतीत में इस तरह के हर विद्रोह के बाद पार्टी मजबूत हुई है।

बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना किसकी होगी और किसे मिलेगा पार्टी का चुनाव चिह्न धनुष-बाण इसे लेकर एकनाथ शिंदे और ठाकरे परिवार के बीच जंग के संकेत मिलने लगे हैं। एकनाथ शिंदे ने नया मुख्य सचेतक ( प्रतोद ) भरत गोगावले की नियुक्त कर साफ कर दिया है कि असली शिवसेना तो उनके पास है। पार्टी के ज्यादातर विधायक तो उनके पास हैं। इससे पहले, विधानसभा में शिवसेना के प्रमुख सचेतक सुनील प्रभु ने पत्र जारी कर पार्टी के सभी विधायकों व मंत्रियों को बुधवार की शाम पांच बजे से पहले वर्षा निवास स्थान पर उपस्थित रहने के लिए आदेश दिया था। शिंदे ने ट्वीट कर कहा कि सुनील प्रभु द्वारा बैठक को लेकर जारी किया आदेश गैर-कानूनी है।

बालापुर अकोला से विधायक नितिन राउत कुछ और बागी विधायकों के साथ गुवाहटी एकनाथ शिंदे कैंप में पहुंचे थे। मगर बाद में उन्होंने मन बदल लिया। नितिन राउत हवाई अड्डे के लाउंज में रुके थे जबकि अन्य सभी रैडिसन ब्लू होटल में चले गए। नितिन के पास कई कॉल आ रहे थे। बाद में एकनाथ शिंदे ने फोन किया कि हम उनको गुवाहाटी से जाने दें क्योंकि हम अपने समूह में कमजोर स्थान नहीं चाहते हैं।

विधायक दीपक केसरकर गुवाहाटी पहुंचे, कई सांसद भी बदलेंगे पाला!गुवाहाटी के रेडिसन ब्लू होटल में शिवसेना के विधायकों के पहुंचने का सिलसिला जारी है। शिवसेना के विधायक दीपक केसरकर भी गुवाहाटी पहुंच गए हैं। इसके अलावा शिवसेना के कई सांसद भी एकनाथ शिंदे के संपर्क में बताए जा रहे हैं। ठाणे के सांसद राजन विचारे शिंदे के संपर्क में हैं। सांसद भावना गवली, कृपाल तुमाने और राजेंद्र गावित भी शिंदे और बीजेपी के संपर्क में बताए जा रहे हैं। इस बीच खबर है कि एकनाथ शिंदे के पास अपने गुट को मान्यता दिलाने के लिए जरूरी विधायकों की संख्या पूरी हो गई है। शिंदे का दावा है कि उनके पास 49 शिवसेना विधायकों का समर्थन है। खबर है कि 40 से ज्यादा शिवसेना विधायक गुवाहाटी के होटल में मौजूद हैं।

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