नई दिल्ली (देशयोगी सन्दीप गोस्वामी)।
राजस्थान के भरतपुर के पसोपा गांव में अवैध खनन के विरोध में खुद को आग लगाने वाले संत विजय दास का शुक्रवार की रात दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में निधन हो गया। उनके पार्थिव शरीर को शनिवार सुबह उनके परिजनों को सौंप दिया गया।
ज्ञातव्य है कि भरतपुर जिले के डीग क्षेत्र में आदिबद्री धाम और कनकाचल में हो रहे अवैध खनन के विरोध में साधु-संत आंदोलन कर रहे थे। 20 जुलाई को बड़ी संख्या में साधु-संत विरोध करने के लिए जुटे। इसी दौरान आंदोलन स्थल पर संत विजयदास (65 साल) ने आत्मदाह कर लिया। पुलिस और अन्य लोगों ने उन्हें फौरन कंबल में लपेट दिया लेकिन तब तक वह 80 फीसदी जल चुके थे। उन्हें आरबीएम अस्पताल में भर्ती करवाया गया। उनकी हालत गंभीर होने पर उन्हें पहले जयपुर के एसएमएस अस्पताल, फिर दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती करवाया गया। जहां उनकी देर रात मृत्यु हो गई।
उल्लेखनीय है कि संत विजयदास के आत्मदाह के बाद सरकार बैकफुट पर आ गई। उसके बाद राजस्थान के खनन मंत्री प्रमोद जैन भाया ने कहा कि संत जिन खानों को बंद करने की मांग कर रहे हैं, वे लीगल हैं। फिर भी उनकी लीज शिफ्ट करने पर विचार किया जाएगा। उसके बाद कलेक्टर आलोक रंजन और पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह डीग क्षेत्र में स्थित पासोपा धाम पहुंचे थे। उसके बाद मंत्री विश्वेन्द्र सिंह ने सभी साधु संतों से समझाइश की और फिर जाकर पांच सौ पचास दिन से चल रहा धरना समाप्त हुआ।