‘विश्व हेपेटाइटिस दिवस’ पर मैक्स हॉस्पिटल का जन जागरूकता अभियान

राष्ट्रीय

देहरादून (देशयोगी आकाश)।

विश्व हेपेटाइटिस दिवस पर गुरुवार को उत्तराखण्ड के देहरादून स्थित मैक्स अस्पताल की ओर से जन जागरूकता के लिये अभियान शुरू किया गया।

यहां एक संवाददाता सम्मेलन में अस्पताल के डॉ मयंक नौटियाल, सलाहकार और एचओडी, लिवर ट्रांसप्लांट और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सर्जरी ने बताया कि भारत में हेपेटाइटिस अभी भी एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या है। सभी श्रेणियों में से, हेपेटाइटिस बी अत्यधिक संक्रामक माना जाता है। 

उन्होंने बताया कि भारत में 3 से 5 प्रतिशत आबादी हेपेटाइटिस बी से जूझ रही है। ‘विश्व हेपेटाइटिस दिवस’ पर जागरूकता पैदा करने के लिए यह अभियान मीडिया के माध्यम से शुरू किया गया है, ताकि आम लोग इसके बारे में जानें और स्वस्थ रहें।

डा नौटियाल ने बताया कि “हेपेटाइटिस लीवर की सूजन है। हेपेटाइटिस वायरस के पांच मुख्य प्रकार ए, बी, सी, डी और ई हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि  हेपेटाइटिस बी के लिए अब प्रभावी टीका उपलब्ध है। 3 में से 2 लोग नहीं जानते कि वे हेपेटाइटिस बी से संक्रमित हैं। हेपेटाइटिस बी और सी दोनों ही लीवर प्रत्यारोपण और लीवर कैंसर के प्रमुख कारण हैं।

सर्जन ने बताया कि हेपेटाइटिस बी एक हल्की बीमारी से लेकर कुछ हफ्तों तक चलने वाली गंभीर, आजीवन तक हो सकती है। संक्रमित होने वाले 90 प्रतिशत से अधिक शिशु  प्रतिरक्षित  न होने के कारण  इस  संक्रमण के साथ रहते हैं। उन्होंने बताया कि लंबे समय से संक्रमित लोगों में से 15 से 25 फीसदी लोगों में पुरानी यकृत की बीमारी विकसित होती है, जिसमें सिरोसिस, यकृत की विफलता या यकृत कैंसर शामिल है। 

गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के सलाहकार सर्जन डाक्टर मयंक गुप्ता ने बताया कि केवल 10 और 21 प्रतिशत लोग जानते हैं कि वे क्रमशः क्रोनिक हेपेटाइटिस बी या हेपेटाइटिस सी से ग्रसित हैं और  इनमे से बहुत कम  ही इसका उपचार करवा पाते  हैं। इसीलिए  हेपेटाइटिस से संबंधित यकृत कैंसर विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में तेजी से बढ़ रहा है। इसके अलावा, तीव्र हेपेटाइटिस ए और ई पूरी दुनिया में लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहे हैं।”

डा गुप्ता ने बताया कि हेपेटाइटिस बी वायरस संक्रमित मां से जन्मे शिशु को, संक्रमित व्यक्ति के साथ सहवास करने से, संक्रमित व्यक्ति के रक्त से दूषित उपकरण जैसे सुई, सीरिंज और यहां तक कि चिकित्सा उपकरण जैसे ग्लूकोज मॉनिटर को साझा करने से, व्यक्तिगत सामान जैसे टूथब्रश या रेज़र साझा करने और खराब संक्रमण नियंत्रण और स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं की कमी के परिणामस्वरूप यह अधिक फैलता है। 

मैक्स अस्पताल के सीनियर वाइस प्रेसीडेंट एवं यूनिट हेड डॉ संदीप सिंह तंवर ने बताया कि गंभीर स्थिति के लिए हेपेटाइटिस की कोई दवा उपलब्ध नहीं है। इसका निदान  सहायक देखभाल के माध्यम से ही होता है। उन्होंने बताया कि यकृत की पुरानी बीमारी की  नियमित निगरानी और  कुछ रोगियों का इलाज एंटीवायरल दवाओं से भी किया जाता है।

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